Thursday, 21 September 2017

अभी जाने लखनऊ के सबसे पुराने गेटों में से एक बारे में


हम आपको आज लखनऊ के बेहद आकर्षक रूमी दरवाजे के बारे बताएंगे जो पर्यटकों की  खास पसंद है तुर्किश द्धार  के नाम से भी जाना जाता हैं। इसे  लखनऊ शहर का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। 13 वीं शताब्‍दी के महान सूफी फकीर, जलाल-अद-दीन मुहम्‍मद रूमी के नाम पर रखा गया था।  इस 60 फुट ऊंचे दरवाजे को सन् 1784 में नवाब आसफ-उद-दौला के द्वारा बनवाया गया था जिन्होंने बारे इमामबाड़ा बनवाया था।  यह द्वार अवधी शैली का एक नायाब नमूना  है।दरवाजे को प्रसिद्ध बनाने के लिए सबसे असली  श्रद्धांजलि रसेल को दी जानी चाहिए, वह न्‍यूयार्क टाइम्‍स के संवाददाता थे और उन्‍होने ही 1858 में लखनऊ की छावनी को ब्रिटिश सेना के प्रविष्टि कवर पर छापा। उन्‍होने अपनी रिर्पोट में कहा था कि रूमी दरवाजा से छत्‍तर मंजिल तक का रास्‍ता सबसे खूबसूरत और शानदार है जो लंदन, रोम, पेरिस और कांस्‍टेंटिनोपल से भी बेहतर दिखता है।  इस गेट के ऊपर नवाबों के युग में एक लैम्‍प रखी गई थी, जो उस युग में रात के अंधेरे में रोशनी प्रदान करती थी। यह जगह और भी लुभावनी हो जाती है जब इस द्वार पर बनी मेहराबों के पास में लगे सुंदर से फव्‍वारों से कली के आकार में पानी गिरता है।  इस गेट की सबसे खास बात यह हैं की इसको अगर आप एक तरफ से   देखते है तो आपको तीन गेट दिखाई देते है ठीक इसके विपरीत जाने पर एक गेट  दिखाई देता हैं जो की बहुत बेमिसाल है यह इस तरीका अनोखा एक मात्र गेट है जिसको देखने विदेशो से लोग आते हैं। 


No comments:

Post a Comment