विश्व की धरोहर-- कोणार्क का सूर्य मंदिर
इसको महाराजा नरसिंहदेव ने 1250 ई.वी में बनवाया था. यह मंदिर बहुत बडे रथ के आकार में बना हुआ है, जिसमे कीमती धातुओ के पहिये, पिलर , दीवारे आदि बनी है.मंदिर का मुख्य भाग आज विनाश की कगार पर है.
मंदिर की हर जगह में ,अद्वितीय सुंदरता और शिल्पाकृतियों झलक आपको देखने को मिलेगी ।यहाँ पर हज़ारों शिल्प आकृतियां भगवानों, देवताओं, गंधर्वों, मानवों, वाद्यकों, प्रेमी युगलों, दरबार की छवियों, शिकार एवं युद्ध के चित्र हैं। इनके बीच बीच में पशु-पक्षियों (लगभग दो हज़ार हाथी, केवल मुख्य मंदिर के आधार की पट्टी पर भ्रमण करते हुए) और पौराणिक जीवों, के अलावा महीन और पेचीदा बेल बूटे तथा ज्यामितीय नमूने अलंकृत हैं। उड़िया शिल्पकला की हीरे जैसी उत्कृष्त गुणवत्ता पूरे परिसर में अलग दिखाई देती है।यह बहुत ही खूबसूरत हैं यह लगभग सैकड़ो पर्यटक रोज़ आते हैं।
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