Sunday, 1 October 2017

कोणार्क का सूर्य मंदिर --उड़ीसा

विश्व की धरोहर-- कोणार्क का सूर्य मंदिर 




 जैसा की नाम से पता चलता हैं की कोणार्क शब्द, 'कोण' और 'अर्क' शब्दों के मेल से बना है। अर्क का मतलब  है सूर्य जबकि कोण से मतलब कोण या किनारे होता हैं ।  यह मंदिर UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल है और साथ ही यह मंदिर भारत के 7 आश्चर्यो में भी शामिल है.कोणार्क का सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी किनारे पर समुद्र के किनारे है.यह मंदिर 13 वी सदी का अनूठा मंदिर है।  सूर्य  मंदिर, सूर्य भगवान के एक महान रथ रूप में बना है, जिसमें बारह जोड़ी बेमिसाल पहिये हैं जिनको सात घोड़े खींच रहे  हैं। यह मंदिर भारत के बेमिसाल  स्थलों में से एक है। यह भारत ही  नहीं पूरी दुनिया का आकर्षण का केंद्र है। 



इसको  महाराजा नरसिंहदेव ने 1250 ई.वी  में बनवाया था. यह मंदिर बहुत बडे रथ के आकार में बना हुआ है, जिसमे कीमती धातुओ के पहिये, पिलर , दीवारे आदि बनी है.मंदिर का मुख्य भाग आज विनाश की कगार पर है. 

 मंदिर की हर जगह में ,अद्वितीय सुंदरता और शिल्पाकृतियों  झलक आपको देखने को मिलेगी ।यहाँ  पर हज़ारों शिल्प आकृतियां भगवानों, देवताओं, गंधर्वों, मानवों, वाद्यकों, प्रेमी युगलों, दरबार की छवियों, शिकार एवं युद्ध के चित्र हैं। इनके बीच बीच में पशु-पक्षियों (लगभग दो हज़ार हाथी, केवल मुख्य मंदिर के आधार की पट्टी पर भ्रमण करते हुए) और पौराणिक जीवों, के अलावा महीन और पेचीदा बेल बूटे तथा ज्यामितीय नमूने अलंकृत हैं। उड़िया शिल्पकला की हीरे जैसी उत्कृष्त गुणवत्ता पूरे परिसर में अलग दिखाई देती है।यह बहुत ही खूबसूरत हैं  यह लगभग सैकड़ो पर्यटक रोज़ आते हैं। 

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