Thursday, 21 September 2017

प्रह्लाद घाट --हरदोई (उ.प्र)

यह घाट हरदोई जिले ,उ.प्र में है। यह भक्त प्रह्लाद के भगवान  के प्रति असीम प्यार और त्याग को दर्शाता है। इस जिले का नाम उसके पिता के अनुसार रखा गया था वो भगवान हरि के बहुत बड़े शत्रु थे.वो अपने आप को पुरे संसार का स्वामी मानते थे इसीलिए इस शहर का नाम "हरी द्रोही "रखा गया था पर कई युगों बाद इसका नाम हरदोई हो गया। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उन्ही की पूजा  करता था ये सब उसके पिता को अच्छा नई लगता था इसलिए उसने प्रह्लाद को मार डालने की सोची जिसके चलते उसमे अपनी बहन होलिका  को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाने को कहा क्यूकि उसको आग में न जलने का वरदान  मिला था लेकिन सच्ची भक्ति के आगे हिरणकसद्यप की एक न चली वस्तुता उसकी बहन आग में जल गयी और प्रह्लाद बच गया।बस  तभी  से प्रह्लाद भक्त प्रह्लाद बन गए बन गए।  भगवान हरि ने नरसिंघ अवतार में हिरणाकश्यप का वध कर दिया। 

 यह वही घाट है जहा पर होलिका जल गयी थी और प्रह्लाद  बच गया.इस जगह को लोग आज भी पूजते है और हर वर्ष यहाँ होली का त्योहार  बड़ी धूमघाम से मनाया जाता हैं.आज भी यहाँ हिरणाकश्यप का किला है जो पुराणी धरोहर के रूप में जाना जाता  हैं।


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