Tuesday, 12 September 2017

रामटेक

रामटेक महाराष्ट्र राज्य के नागपुर से 20 मील की दूरी पर रमणीक और ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दूतीर्थ स्थान है।

वनवास के समय राम के 'टिकने का स्थान' या 'पड़ाव' को 'रामटेक' कहा जाता है।
कुछ विद्वानों के मत में यह महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' में वर्णित रामगिरि है। यहाँ विस्तीर्ण पर्वतीय प्रदेश में अनेक छोट-छोटे सरोवर स्थित हैं, जो शायद 'पूर्वमेघ' में उल्लिखित 'जनकतनया स्नान पुण्योदकेषु' में निर्दिष्ट जलाशय हैं।[1]
किंवदंती है कि वनवास काल में राम, लक्ष्मण तथा सीता इस स्थान पर रहे थे।
रामचंद्र जी का एक सुंदर मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर के निकट विशाल वराह की मूर्ति के आकार में कटा हुआ एक शैलखंड स्थित है।
रामटेक को 'सिंदूरगिरि' भी कहते हैं। इसके पूर्व की ओर 'सुरनदी' या 'सूर्यनदी' बहती है।
इस स्थान पर एक ऊंचा टीला है, जिसे गुप्तकालीन बताया जाता है।
चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है।
प्राचीन जनश्रुति के अनुसार रामचंद्र जी ने शंबूक का वध इसी स्थान पर किया था।
रामटेक में जैन मन्दिर भी है। कुछ विद्वानों का मत है कि कालिदास के 'मेघदूत' का रामगिरि यही है।
नागपुर से रामटेक स्टेशन 26 मील की दूरी पर है। यहाँ से बस्ती एक मील की दूरी पर है।


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